Tuesday 8 April 2014

जो सपने अच्छे बेंचेगा वही राजा बनेगा


तो फिर से एक बार घोषणा-पत्र की बाढ़ आयी. १६ वीं लोक सभा का चुनाव है तो ज़ाहिर है १६वीं बार दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलोंकांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (दोनों के काल विशेष में नाम क्या रहे हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है)--- ने सपने बेंचे. पांच साल ये सपने पैदा करते रहे हैं और चुनाव आने पर उन्हें अमल में लाने का वादा करते हैं मसलन सबको नहीं तो गरीबों को तो शर्तिया) घर, सबको रोजगार , सबको स्वास्थ्य या सबको सुरक्षा, विकास, किसान, गरीब, अल्पसंख्यक, अन्तर-संरचना, विनिवेश आदि कुछ जुमले हैं जो ६४ साल से हमें बेंचे जाते हैं. हम पांच साल उन्हीं सपनों की आगोश में फिर सो जाते हैं दुष्यंत कुमार के "न हो कमीज़ तो पावों से पेट ढक लेंगे" की मानिंद.

अब जनता किस दल को वोट करेगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई दल कैसे ज्यादा सपने बेंचता है. उदाहरण के तौर पर कांग्रेस ने हाई स्पीड ट्रेन देने की बात कही लेकिन मोदी के भारतीय जनता पार्टी ने "हाई स्पीड स्वर्ण चतुर्भुज बुलेट ट्रेन". है ना अन्तर? एक में शब्दों की चुस्ती नहीं है जो बसों में पुदीने के अर्क से बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक करने का नुस्खा बेंचने वाले सेल्समेन में होती है क्योंकि उसे दूसरी बस में जाना होता है. लेकिन दूसरे में स्वर्ण, बुलेट और चतुर्भुज जैसे लुभावने शब्द हैं.

कांग्रेस ने पहले से हीं राष्ट्रीय विकास परिषद् बनाया है जिसमें सारे मुख्मंत्री हैं पर भारतीय जनता पार्टी इसे "टीम इंडिया " का नया नाम देते हुए एक संगठन बनायेगी जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों से विकास के बारे में राय ली जायेगी. हालांकि यही काम परिषद् का भी था. भाजपा ने इसे संघीय ढांचे के लिए ओर विकास को राज्य की ज़रूरतों के अनुरूप बनाने की संज्ञा दे कर सपनों को और आकर्षक बनाया. कांग्रेस ने वायदा किया कि वह सबको मकान का अधिकार देगी जबकि भाजपा ने सबको सीधे घर देने का सपना दिया. ज़ाहिर है अधिकार फलीभूत हो हो इस पर उनींदी जनता को शंका हो सकती है पर सीधे घर मिलेगा का वायदा अपील करता है.

सपनों की पैकेजिंग में भी कांग्रेस में वह धार नहीं थी जो भाजपा के पैकेजिंग में. कांग्रेस महंगाई ख़त्म करने का वायदा करती है जो उसके पांच साल के वर्तमान शासन काल में बढ़ती रही वहीं भाजपा ने महगाई के लिए एक फण्ड बनाने की बात कही. जनता को लगा कि महंगाई रुके रुके पर फण्ड कोई ऐसे चीज होगी जो दिखा कर सब्जी वाले से , दूध वाले से , किराना वाले से सस्ता माल लिया जा सकता है.

पैकेजिंग का हीं कमाल है कि भाजपा ने प्रशासनिक सुधार , पुलिस सुधार , -गवर्नेंस , बहु-राष्ट्रीय स्टूडेंट आदान-प्रदान प्लान की बात की है. कांग्रेस ने भी करों में छूट की बात की पर वह उतनी विश्वसनीय नहीं थी जितना यह वायदा कि भाजपा का "टैक्स टेररिज्म" (कर आतंकवाद) ख़त्म करेगी . यह अपील करता है कि राज्य कोई आतंक करता है और कोई दल सत्ता में आने पर इसे ख़त्म कर देगा. भाजपा शब्दों के गढ़ने और उसे जन-भावना से सीधे जोड़ने में विशेष दक्षता रखती है और हो भी क्यों . मातृ संस्था राष्ट्री स्वयंसेवक संघ की ट्रेनिंग में हिंदी पर जोर जो रहता है.

कांग्रेस के घोषणा-पत्र के पेज संख्या २५ के १४ वें बिंदु में भी "पूर्ण शक्ति केंद्र " को ब्लॉकस्तर पर स्थापित करने की बात है ताकि जनता को "एकल खिड़की" के जरिये जागरूकता, सूचना और सरकारी योजनाओं को और कार्यक्रमों को अमल में लाने की बात मालूम हो सके. लेकिन इसी सपने को भाजपा के कुछ इस तरह पेश किया है " हर गाँव को ऑप्टिक फाइबर से जोड़ा जाएगा ". सन्देश यह है कि गरीब ओड़िसा के गाँव का चावल अमीर महाराष्ट्र और केरल में अच्छे दाम पर किसान बेंच सकेगा. इस वादे में सपने को और पुख्ता किया गया है.

अगर सपने पुराने हों तो कुछ नए सपने बेचना भी एक कला होती है लिहाज़ा भाजपा एक और नारा है "कम पानी से ज्यादा उत्पादन". जिस देश में ६५ साल के "स्वप्न की सौदागरी" में ३५ प्रतिशत हीं सिंचित जमीन किसानों को मिल पाई हो उसके किसान को लगेगा कि अब जिस खेत में किराये पर पम्पिंग सेट लगा कर अनाज पैदा करता था अब बगैर पानी के हीं अनाज पैदा करेगा और अच्छे दामों पर केरल का कोई व्यापारी कर ले जायेगा.

इस देश में आर्थिक विषमता एक शाश्वत भाव है. "एक धनवान की बेटी ने निर्धन का दमन छोड़ दिया " का गुस्सा आज ६५ साल बाद भी भी गरीब के सपनों को तोड़ता है लिहाज़ा भाजपा ने गरीब और शहरी क्षेत्र की खाई को पाटने का संकल्प किया है. पार्टी अगर शासन में आयी तो गरीब का युवा भी अपनी लम्बी कार अमीर की बड़े बंगले के सामने खडी कर "चाँद सितारों की बात कर सकेगा". हालाँकि आई एच डी एस (इंडिया ह्यूमन डेवेलपमेंट सर्वे ) के ताज़ा आंकडे बताते हैं यह शाश्वत खाई कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू पी शासन में कम हुई है और राष्ट्रीय नमूना सुर्वेक्षण संगठन (एन एस एस ) के आंकडे भी इस बात की तस्दीक है कि ग्रामीड़ भारत में शहरी भारत के मुकाबले खर्च के प्रतिशत में ज्यादा वृद्धि है.

भाजपा जानती है कि लगभग नौ करोड नए युवा जिनकी उम्र १८ से २३ है पहली बार वोट देंगे और उनमें से अधिकांश -मेल, ट्विटर , व्हाट्स एप " से जुड़े हैं वह नयी हवा में नए सपने देखना चाहते है और उसे अपने पिताजी, दादा जी और दादा के पिता जी के अपूर्ण सपनों से ज्यादा नए सपनों की चिंता है. लिहाज़ा भाजपा ने "ब्रांड इंडिया " का नारा दिया है. जिसमें एक्सपोर्ट (निर्यात) पर जोर होगा. भारत के युवाओं को अमरीका या तो नौकरी देगा नहीं तो सर्विसेज एक्सपोर्ट (सेवा निर्यात ) के नाम पर अमरीका यहीं कर मोटी तनख्वाहों पर बेरोजगार युवकों को रखेगा. बिहार के शिक्षित युवा को इस किस्म के नए सपने बेंचने के लिए भाजपा की रेसिपी (पाकशास्त्र ) में "टीम इंडिया " "गाँव तक ऑप्टिकल फाइबर" , गोल्डन क्वाड्रीलेटरल बुलेट ट्रेन" , "ईगवर्नेंस" और "सागर माला " आदि हैं तो.

लेकिन भारत जैसे धर्मं- भीरु देश में अगर भगवान् का नाम नहीं आया तो बात नहीं बनती. लिहाज़ा घोषणा-पत्र जरी करने के अवसर पर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा कि "ईश्वर कुछ अच्छा काम करवाना चाहता है इसलिए उसने मोदी जी को चुना है". राजा को दैवीय अभिमत से पुख्ता कर प्रजा पर संप्रभुता देने की चालाकी के पीछे भी यही तर्क था और तब से आज तक शोषण होता रहा.

lokmat