Thursday 13 February 2014

जब नशे में तमंचा साथ लाए सांसद

प्रजातंत्र जब समृद्ध होता है, तो उसकी पहचान होती है कि वह प्रतीकात्मकता से हटकर वस्तुस्थिति से प्रभावित होने लगता है। भारत में अभी भी प्रजातंत्र में वह गुणवत्ता नहीं आई है, जिससे वह प्रतीकात्मकता को छोड़ सके। नतीजतन होता यह है कि जो सोनिया गांधी की जय-जयकार करे, नरेंद्र मोदी की हुंकार भरे, जो अरविंद केजरीवाल के स्वर में स्वर मिलाकर मीडिया पर हमला करे, वह अपने नेता का चहेता हो जाता है। यही वजह है कि गुरूवार को संसद में जो घटना घटी, वह किसी भी उन्नत प्रजातंत्र के लिए शर्म की स्थिति है। इसने फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि शायद हम प्रजातंत्र के लिए परिपक्व नहीं हुए हैं।

जिस तरह, प्रजांतत्र में एक-दूसरे के मत में सहिष्णुता पाई जाती है, लेकिन यहां पर तो जिस प्रकार काली मिर्च फेंकी गई, उसका सिर्फ यही मकसद था कि वापस जाकर माननीय सांसद महोदय चुनाव में अपने मतदाताओं को यह बता सकें कि मैं तुम्हारा भगतसिंह हूं। संसद में चाकू ले जाना, हालांकि इस बात से इनकार किया गया है, उस व्याधि या रोग को बताता है कि जिस संसद में 162 सदस्यों पर आपराधिक मुकदमे लगे हैं, यानी हर तीसरा सांसद अपराध का आरोपी है, वह स्थिति बढ़ती जा रही है। अब फैसला जनता को लेना होगा। वो संसद में चाकूबाज चाहती है या अपना सही रहनुमा, जो कि नेता के प्रति निष्ठा व्यक्त करने की बजाय अपनी जनता के प्रति व्यक्तकरे।

जो कुछ भी गुरूवार को संसद में हुआ, वह याद दिलाता है, आज से कुछ साल पहले की एक घटना। उस वक्त मैं संसद कवर करता था, बालयोगी स्पीकर हुआ करते थे। तब एक दिन बिहार के एक सांसद लोकसभा में गतिरोध उत्पन्न कर रहे थे और स्पीकर की बात नहीं मान रहे थे। अंत में मजबूर होकर स्पीकर को कहना पड़ा कि इन्हें बाहर ले जाया जाए। जब वह सांसद बाहर जा रहे थे, तो उनकी कमर से एक चीज गिरी, जो रंग में काली थी। हम में से अधिकांश लोगों ने देखा कि वह क्या थी? दरअसल, वह सांसद आपराधिक छवि के थे और जो वस्तु उनकी जेब से गिरी थी, वह रिवॉल्वर (तमंचा) थी। संसद के लोगों ने हमसे गुजारिश की, कृपया यह बात जनता में न ले जाएं और वह बाहर नहीं आई। बाद में सिक्योरिटी स्टाफ के मार्शल ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा था कि वह वस्तु न केवल हथियार थी, बल्कि सांसद महोदय नशे में भी थे।

इस बात को तो छिपा लिया गया, लेकिन आज संसद में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग ज्यादा आने लगे हैं। इसलिए ऎसे लोगों को रोकने की सख्त जरूरत है। हम सब प्रजातंत्र में यकीन रखते हैं और उस विश्वास को सुनिश्चित करें। आज मिर्च फेंकना, चाकू लहराना, नशे में जाना या हथियार लेकर संसद में घुसना प्रजातंत्र पर धीरे-धीरे जनता के विश्वास को खत्म करता जा रहा है।

कल की घटना ने पूरे विश्व में भारत का सिर शर्म से झुका दिया है। उस भारत का जो सहिष्णुता और सम्यक आचरण के लिए विश्व में अपने इतिहास का दावा करता है।

rajsthan patrika