Wednesday 2 September 2020

सतर्कता छोड़ी तो अगले तीन माह में 8 गुना मौतें



जहां इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक बड़ा भाग एक माह से सुशांत की आत्महत्या का कारण पता करने में इतना मुब्तला है कि मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, बड़ी हस्तियों और समाज में अग्रणी भूमिका निभाने वालों (गरीबों की मौत से ऐसे भी न्यूज नहीं बनती) की मौत पर दो सेकंड भी समय नहीं दे पा रहा है, दुनिया की एक मकबूल संस्था ने कहा है भारत में कोरोना से मौतों का ख़तरा असाधारण रूप से बढ़ने जा रहा है. उसके अनुसार अगर लॉकडाउन में इसी तरह छूट जारी रही और लोग सामाजिक दूरी और मास्क पहनने की शर्त को नज़रअंदाज करते रहे तो अगले तीन माह में देश में करीब पांच लाख लोगों की कोरोना से मौत होगी जो कि छह महीनों में हुई मौतों का आठ गुना है. अमेरिका के इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई), वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर माडलिंग से तैयार की गयी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार सख्त लॉकडाउन फिर से कुछ हफ़्तों के लिए लगाये और देश के ९५ प्रतिशत लोग मास्क पहनने लगें तो अगले तीन माह माह में मौतों का आंकड़ा २,९१,१४५ तक पहुंचेगा याने पिछले छः माह में हुई मौतों का लगभग पांच गुना. लेकिन अगर आर्थिक-सामाजिक दबाव के कारण लॉकडाउन का खुलना जारी रहा तो यह संख्या ४.९२ लाख तक पहुँच जायेगी अर्थात पिछले छः माह के मुकाबले अगले तीन माह में आठ गुना. लिहाज़ा अगर ढाई लाख मौतें बचानी हैं तो सरकारों को लॉकडाउन लगाना होगा और समाज में कोरोना महामारी को लेकर नयी चेतना विकसित करनी होगी और हर व्यक्ति को सामाजिक दूरी का पालन व मास्क लगाने की आदत को इबादत के तौर पर लेना होगा. इस महामारी से आज एक तमिलनाडु का एक सांसद की मौत हुई अगर टीवी चैनल सरकार की कमियों और समर्थ लोगों के दम तोड़ने की खबरें दिखाते तो सरकारें भी और प्रयास करती और लोग भी जागरूक होते. लेकिन किसी भी बाज़ार में बगैर मास्क के चहलकदमी करते लोगों को देखा जा सकता है. ये खबरें कम से कम इन्हें सवेंदनशील बना सकती थीं लेकिन मीडिया का वर्तमान स्वरुप सरकार को भी रास आ रहा है. प्रजातंत्र में एक “भांड” मीडिया किसी भी सरकार के लिए वरदान होती है. और सरकार आसानी से “सुशांत के नजदीकी लोगों का पॉलीग्राफ” रिपोर्ट जानने के उत्सुक लोगों को “नया भारत, श्रेष्ठ भारत, आत्म-निर्भर भारत” के बारे में कन्विंस कर सकती है.