Monday, 4 April 2016

अंग्रेज़ी शब्दों से परहेज़ कहीं दुराग्रह तो नहीं ?


1 comment:

  1. जैसे जैसे राजनीती, मीडिया और व्यापार में साहचर्य पनप रहा है ,"जो दीखता है वो बिकता है" वाला जुमला सटीक होता जा रहा है.मीडिया के लिए युवती की लोकप्रियता बिकाऊ मॉल हो गयी जैसे ही उसकी हत्या या आत्महत्या की जानकारी प्राप्त हुयी.सुषमाजी की मज़बूरी है संघ की नज़रों में बने रहना क्योकि उनकी पृष्टभूमि संघी नहीं है..उसी प्रकार जैसे जावेद अख्तर को अपनी राष्ट्र भक्ति सिद्ध करने की होड़ में शामिल होने के लिए" भारत माता की जय" बोलना.baraayenaam विदेश मंत्री की कुर्सी उन्हें हज़म नहीं हो रही है. कुछ न कुछ तो उन्हें बोलना ही है.

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