Sunday, 19 October 2014

पूरा लाभ नहीं उठा पाई भाजपा





बदलाव की लहर और मोदी की सुनामी दोनों एक ही चीज हैं। कांग्रेस इतनी कमजोर नहीं होती तो मोदी इतने मजबूत नहीं होते। जनता बदलाव  इसीलिए चाहती थी क्योंकि वह कांग्रेस सरकारों के प्रदर्शन से बहुत निराश थी। मोदी ने जनता को विकल्प दिया। हां, अगर भाजपा का नेतृत्व मोदी जैसे सशक्त व्यक्तित्व के पास नहीं होता तो जरूर स्थिति अलग होती। 
मोदी ने इन चुनावों में एक कैलकुलेटिड जोखिम लिया था। महाराष्ट्र में उन्हें इसका वैसे फायदा नहीं मिला जैसी की अपेक्षा की थी। यद्यपि चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत दो गुना होकर 28 प्रतिशत हो गया है। यह भारी बढ़त है। यह भी साफ है कि यह जनादेश कांग्रेस-एनसीपी सरकार के खिलाफ है। एनसीपी को तो मोदी ने नेचुरली करप्ट पार्टी की संज्ञा तक दी थी। ऎसी पार्टी से मिलकर अब भाजपा सरकार कैसे बना सकती है जिसे कि अभी चार दिन पहले वोट नहीं देने की अपील कर रहे थे? इसी तरह शिवसेना को भाजपा ने हफ्ता वसूल करने वाली पार्टी कहा है। शिवसेना ने भी भाजपा को खूब बुरा-भला कहा है। 

ऎसी स्थिति में बड़ा सवाल यह है कि भाजपा के लिए एनसीपी या शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाना क्या जनता के साथ धोखा करना नहीं होगा? इसलिए एक विकल्प तो यह हो सकता है वह एनसीपी के बाहर से समर्थन के साथ सरकार बनाए। दूसरा विकल्प शिवसेना के साथ सरकार बनाने का है। पर इसमें शिवसेना का फायदा अधिक है भाजपा का कम। 

rajsthan patrika

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